परिलोक की सैर कर आऊँ मन का प्यास बुझा आऊँ परिलोक की सैर कर आऊँ मन का प्यास बुझा आऊँ
कविता कुछ ज्यादा ही बड़ी हो गई यार, भगवान आप सभी को दे अमन-चैन और प्यार। कविता कुछ ज्यादा ही बड़ी हो गई यार, भगवान आप सभी को दे अमन-चैन और प्यार।
भूल बैठे हैं वो अंधकार में ही ज़्यादा होती है उम्मीद सुबह के होने की। भूल बैठे हैं वो अंधकार में ही ज़्यादा होती है उम्मीद सुबह के होने की।
सुबह की वो पहली बूंदे धरती पर जब गिर जाएं सुबह की वो पहली बूंदे धरती पर जब गिर जाएं
पांच बजे का अलार्म लगाकर सुबह अंधेरे मन पक्का कर निकल पड़े करने को सैर पांच बजे का अलार्म लगाकर सुबह अंधेरे मन पक्का कर निकल पड़े करने को सैर
दिलासा देकर पति को चिंताएँ स्वयं लेती। दिलासा देकर पति को चिंताएँ स्वयं लेती।